भगवान राम की जन्मभूमि
अयोध्या में कई देव करते हैं वास, जानिए इसकी पौराणिक
मान्यताएँ …
अयोध्या का राम
जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद कई दशकों से चला आ रहा है और अब उसको लेकर सुप्रीम
कोर्ट में रोज़ाना नियमित सुनवाई बीते मंगलवार, 6 अगस्त से शुरू
हो गई है। मामले की गंभीरता और इसके धार्मिक रुख को देखते हुए इस मामले की सुनवाई
करने की ज़िम्मेदारी उस संवैधानिक पीठ को दी गई है, जिसकी अगुवाई
खुद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे हैं।
अयोध्या का धार्मिक
महत्व
हिंदू धर्म में
अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि की तौर पर ही देखा जाता है। इसी लिए माना जाता
है कि जिस स्थान को लेकर सालों से ये विवाद चल रहा है, उसी
स्थान पर श्री राम का जन्म हुआ था, जहाँ वर्षों
पहले श्री राम का एक भव्य मन्दिर स्थापित था। इसी वजह से भी इस स्थान का महत्व
हिंदुओं के लिए बढ़ जाता है। तुलसीदार द्वारा लिखी रामचरित मानस की माने तो
त्रेतायुग में अधर्म का नाश करने के लिए भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर श्री राम के
रूप में अवतार लिया था। जिस दौरान भगवान राम ने दुष्टों का नाश कर धरती लोक पर
धर्म की स्थापना की थी। ऐसे में आज भी सदियों बाद आपको अयोध्या में कई प्राचीन ऐसे
मंदिर मिल जाएंगे जिनका संबंध पौराणिक कथाओं में भगवान राम से बताया जाता है। तो
आइये जानते हैं उन प्राचीन प्रसिद्ध मंदिरों और उनकी कथाओं के बारे में:-
कालाराम मंदिर
कई पौराणिक ग्रंथों
में आपको अश्वमेध यज्ञ का जिक्र कई बार सुनने को मिल जाएगा। अगर रामायण की बात
करें तो उसमें भी मुख्यतौर पर भगवान राम के अश्वमेध यज्ञ का जिक्र हुआ है। माना
जाता है कि जिस स्थान पर भगवान राम ने इस महा अश्वमेध यज्ञ को संपन्न किया था उसी
स्थान पर आज एक मंदिर बना हुआ है। जिसे लोग कालाराम का मंदिर नाम से विश्वभर में
जानते हैं। इस मंदिर में आपको रामलला की प्रतिमा काले बालू पत्थर की मिलेगी। आपको
यहाँ भगवान राम के साथ ही उनके भाइयों, भगवान हनुमान, देवी
सीता और कई गुरुजन के दर्शन भी करने को मिल जाएंगे। इस मंदिर की एक ख़ास बात ये भी
है कि मंदिर के कपाट पूरे साल में केवल एक दिन कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी
देवप्रबोधिनी के दिन ही खोले जाते हैं। इसके अलावा अन्य 364
दिन ये मंदिर बंद ही रहता है।
नागेश्वरनाथ मंदिर
इन्हीं मंदिरों
में से अयोध्या में एक प्राचीन मंदिर नागेश्वरनाथ भी है जिसे भगवान शिव को समर्पित
बताया जाता है। इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक मान्यताओं का वर्णन आपको सुनने को मिल
जाएगा। उन्हीं में से एक कथा के अनुसार माना जाता है कि इस प्राचीन मंदिर का
निर्माण किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं भगवान राम के पुत्र कुश ने उस वक़्त किया था।
जब एक बार कुश सरयू नदी में स्नान कर रहे थे और भूल वश ही नदी में उनका बाजूबंद
गिर गया, जिसे एक नागकन्या ने उठा लिया। माना जाता है कि वह नागकन्या भगवान
शिव की भक्त थीं। इसलिए बाजूबंद के बदले कुश ने उस नागकन्या के लिए भगवान शिव के
इस मंदिर का निर्माण करवाया, जिसे आज नागेश्वरनाथ मंदिर के नाम से
जाना जाता है।
हनुमान गढ़ी का हनुमान
मंदिर
अयोध्या में
स्थित हनुमान गढ़ी का हनुमान मंदिर अयोध्या के सभी प्रमुख मंदिरों में से एक है।
जिसकी महत्ता को लेकर माना जाता है कि अयोध्या की रक्षा के लिए भगवान राम ने इसी
स्थान पर हनुमान जी को विराजमान रहने के लिए आदेश दिया था। इसलिए आपको हनुमान जी
के इस प्राचीन मंदिर में माता अंजनी की प्रतिमा के दर्शन करने को मिलते हैं। जिनकी
गोद में भगवान हनुमान अपने बाल रूप में विराजमान हैं।
छोटी देव काली मंदिर
मान्यताओं
अनुसार अयोध्या में मौजूद प्राचीन छोटी देव काली मंदिर का संबंध भी भगवान राम और
देवी सीता के विवाह से है। पौराणिक कथाओं की माने तो, जब
माता सीता श्री राम संग विवाह करके अयोध्या आईं थी तो अपने साथ एक सुन्दर गिरिजा
देवी की मूर्ति भी लाई थीं। बताया जाता है कि इसी मूर्ति की स्थापना के लिए राजा
दशरथ ने इस स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था, जहाँ
देवी सीता गिरिजा माता की पूजा किया करती थीं और आज इसी मंदिर को छोटी देव काली
मंदिर के नाम से जाना जाता है।
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