बद्रीनाथ धाम यात्रा से
पहले जानें बद्रीनाथ मंदिर के बारे में ये रोचक बातें !
बद्रीनाथ धाम
हिन्दू आस्था के चार धामों (बद्रीनाथ, द्वारिकापुरी, रामेश्वरम
और जगन्नाथपुरी) में से एक हैं। यह तीर्थ स्थल उत्तराखंड राज्य के चमोली ज़िले में
स्थित है। बद्रीनाथ धाम अलकनंदा नदी के तट पर है जहाँ भगवान बद्रीनारायण का भव्य
और प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण 7वीं से 9वीं
सदी के मध्य हुआ है। चूंकि यह मंदिर हिमालय की ऊँची वादियों में बसा हुआ है इसलिए
यह मंदिर साल के केवल छह महीने तक श्रद्धालुओं के लिए खुलता है, अप्रैल
में मंदिर के कपाट खोले जाते हैं और नवंबर में ये कपाट बंद हो जाते हैं।
मंदिर में आदि
शंकराचार्य ने किया था भगवान बद्रीनारायण की प्रतिमा को स्थापित
बद्रीनाथ मंदिर
में बद्रीनारायण की पूजा होती है, जो भगवान विष्णु जी के अवतार हैं। यहाँ
उनकी 1 मीटर (3.3 फीट) लंबी शालिग्राम से निर्मित
मूर्ति है जिसके बारे में मान्यता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने 8वीं
शताब्दी में नारद कुण्ड से निकालकर स्थापित किया था। ऐसा भी माना जाता है कि
विष्णु जी की यह मूर्ति स्वतः ही यहाँ स्थापित हो गई थी। बहरहाल, इस
मंदिर की रेखदेख और प्रशासनिक व्यवस्था उत्तराखंड सरकार के जिम्मे है।
शास्त्रों में मिलता है
मंदिर का उल्लेख
बद्रीनाथ मन्दिर
का उल्लेख विष्णु पुराण, महाभारत तथा स्कन्द पुराण समेत कई
प्राचीन ग्रन्थों में मिलता है। कई वैदिक ग्रंथों में भी मन्दिर के प्रधान देवता, बद्रीनारायण
का उल्लेख मिलता है। स्कन्द पुराण में इस मन्दिर का वर्णन करते हुए लिखा गया है:
“बहुनि सन्ति तीर्थानी दिव्य भूमि रसातले। बद्री सदृश्य तीर्थं न भूतो न
भविष्यतिः॥”, अर्थात स्वर्ग, पृथ्वी तथा नर्क तीनों ही जगह अनेकों
तीर्थ स्थान हैं, परन्तु फिर भी बद्रीनाथ जैसा कोई तीर्थ न कभी था, और
न ही कभी होगा।
ऐसे खोजा था भगवान
विष्णु ने यह स्थान
पौराणिक कथा के
अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु जब अपने ध्यान-योग के लिए एक उचित
स्थान खोज रहे थे, तभी उन्हें अलकनन्दा के समीप यह स्थान बेहद प्रिय लगा। नीलकण्ठ पर्वत
के समीप भगवान विष्णु ने बाल रूप में अवतार लिया, और क्रंदन करने
लगे। उनका रूदन सुन कर माता पार्वती का हृदय द्रवित हो उठा, और
उन्होंने बालक के समीप उपस्थित होकर उसे मनाने का प्रयास किया, और
बालक ने उनसे ध्यानयोग करने हेतु वह स्थान मांग लिया। यही पवित्र स्थान वर्तमान
में बद्रीनाथ के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
बद्रीनाथ यात्रा के लिए
यह ज़रुरी प्रक्रिया
१. बद्रीनाथ
जाने के लिये परमिट की जरुरत पडती है, जो कि जोशीमठ
प्रशासन के द्वारा बनाया जाता है।
२. इस
परमिट के माध्यम से ही पुलिस ट्रैफिक कंट्रोल करती है।
३. टोकन
स्टैंड में लगे तीन स्टालों से यात्रा के समय को इंगित करने वाले टोकन प्रदान किए
जाते हैं।
४. प्रत्येक
भक्त को गर्भगृह का दौरा करने के लिए 10-20 सेकंड दिए जाते
हैं।
५. मन्दिर
में प्रवेश करने के लिए पहचान का प्रमाण साथ होना अनिवार्य है।
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