प्राचीन भारतीय सृष्टि विज्ञान एवं दर्शन ….
हम सभी को यह स्मरण दिलाती है कि
जब …
1 बजे तो स्मरण हो कि ब्रम्ह एक है…!
2 बजने पर सृष्टि विकास में युगल देवों अर्थात अश्विनी और कुमार (रात
दिन, पृथ्वी स्वर्ग, विद्युत चुम्बक, इडा
पिंगला, दोनों नासापुट, सूर्य चंद्र, दान
पुण्य, वैद्य यौवन प्रदाता, आदि) का स्मरण।
3 अर्थात तीन गुण – सत्व, रज और तम।
4 अर्थात चारों वेद – ऋ क, यजु:, साम, और
अथर्व।
5 अर्थात पांच प्राण – प्राण, अपान, उदान, व्यान और समान।
6 अर्थात छ रस – अम्ल, नमकीन, कटु, तिक्त, कषाय और मधुर।
7 अर्थात सात ऋषि प्राण – अत्रि, कश्यप, वशिष्ठ, विश्वामित्र, भारद्वाज, गौतम
और जमदग्नि।
8 अर्थात आठ सिद्धियां – अनिमा, लघिमा, गरिमा, महिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व
और वशीकरण।
9 अर्थात नौ द्रव्य – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, दिक – काल, मन और आत्मा।
10 अर्थात दस दिशाएं – पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैरित्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर, ईशान, ऊपर
और नीचे।
11 अर्थात ग्यारह रुद्र – कपाली, पिंगल, भीम, विरूपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिर्बुधन्य, शंभू, चंड, और
भव।
12 बजने पर स्मरण हो कि बारह आदित्य (जो कि 12
मास के रूप में सृष्टि चक्र को संचालित करते हैं ) – अंशुमान, भग, पूषा, धाता, मित्र, अर्यमा, वरुण, विवस्वान, सविता, शुक्र, त्वष्टा
और विष्णु।
सभी भारतीय इस अद्भुत सृष्टि विज्ञान का चिंतन स्मरण इस घड़ी के
माध्यम से करने का आनंद लें।
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