51शक्तिपीठ जो माँ सती
के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक
भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51
शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके आभूषणों आदि को
दर्शाते हैं। इसलिए हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए माता रानी से जुड़े हुए ये
स्थान अति पवित्र हैं। इन शक्तिपीठों में लाखों की संख्या में माता के भक्त उनके
दर्शन करने के लिए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन तीर्थ स्थलों पर जाने और माता
के दर्शन करने से भक्तों को माँ सती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके समस्त
प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, माँ
सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंग और उनके आभूषण इन स्थानों पर गिरे थे। कहा जाता है
कि भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माँ के शव को कई हिस्सों में विभाजित कर
दिया था, उनके अंग पृथ्वी के अलग-अलग हिस्सों में गिर गए जो शक्तिपीठ कहलाये।
यहाँ शक्ति का अर्थ माँ दुर्गा से है क्योंकि माता सती दुर्गा जी का ही एक रूप
हैं।
देवी सती की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, माँ
सती के पिता राजा दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में बृहस्पति सर्व नामक यज्ञ
का आयोजन किया था। इस अवसर पर उन्होंने सभी देवी/देवताओं को निमंत्रण भेजा था।
लेकिन उन्होंने अपनी पुत्री सती और अपने दामाद शंकर जी को नहीं बुलाया था। लेकिन
माँ सती शिव जी के लाख मना करने बाद बिन बुलाये अपने पिता के घर इस आयोजन के निमित्त
आ गईं। जब माँ सती ने अपने पति दक्ष से यह पूछा कि आपने सभी को इस यज्ञ के लिए
न्यौता भेजा, लेकिन अपने दामाद को आपने न्यौता नहीं दिया। इसका कारण क्या है? यह
सुनकर राजा दक्ष भगवान भोलेनाथ को बुरा भला कहने लगे। वे माँ सती के समक्ष उनके
पति की निंदा करने लगे। यह सुन कर माँ सती को बहुत दुख हुआ। इस दुख में उन्होंने
यज्ञ के लिए बनाए गए अग्नि कुंड में कूदकर अपनी जान दे दी।
जब इस बात का पता भगवान शिव को हुआ तो, क्रोध
के कारण उन्होने वीरभद्र को भेजा जिसने उस यज्ञ को तहस-नहस कर दिया। वहाँ उपस्थित
सारे ऋषि और देव गण उनके प्रकोप से बचने के लिए वहाँ से भाग गए। भगवान शिव ने उस
अग्निकुंड से माँ सती के शव को निकाल कर गोद में उठा लिया और इधर-उधर भटकने लगे।
ठीक उसी समय भगवान विष्णु जी यह जानते थे कि शिव के क्रोध से सारी सृष्टि नष्ट हो
सकती है। इसलिए उन्होंने शिव के क्रोध को शांत करने के लिए माँ सती के शव को अपने
सुदर्शन चक्र से हिस्सों में विभाजित कर दिया। माँ के शव के ये हिस्से पृथ्वी के
विभिन्न हिस्सों में जा गिरे और बाद में यही हिस्से 51
शक्तिपीठ कहलाये।
51 शक्तिपीठ - जो पूरे
भारतीय उपमहाद्वीप में हैं व्याप्त
1. हिंगलाज
शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ
पाकिस्तान के कराची से 125 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है।
पुराणों की मानें तो यहां माता का शीश गिरा था। इसकी शक्ति-कोटरी (भैरवी
कोट्टवीशा) हैं। कराची से वार्षिक तीर्थ यात्रा अप्रैल के महीने में शुरू होती है।
2. शर्कररे
माँ सती का यह
शक्तिपीठ पाकिस्तान के कराची शहर में स्थित सुक्कर स्टेशन के निकट मौजूद है।
हालाँकि कुछ लोग इसे नैना देवी मंदिर, बिलासपुर में भी
बताते हैं। यहां देवी की आँख गिरी थी और वे महिष मर्दिनी कहलाती हैं।
3. सु्गंधा-सुनंदा
यह शक्तिपीठ
बांग्लादेश के शिकारपुर में बरिसल से करीब 20 किमी दूर सोंध
नदी के पास स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि जब विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से माता
सती के शरीर को विभिन्न हिस्सों में विभक्त किया था तो यहाँ उनकी नाक आकर गिरी थी।
4. कश्मीर-महामाया
महामाया
शक्तिपीठ जम्मू-कश्मीर के पहलगाँव में है। मान्यता है कि यहाँ माँ का कंठ गिरा था
और बाद में यहीं माहामाया शक्तिपीठ बना।
5. ज्वालामुखी-सिद्धिदा
भारत में
हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी। इसे ज्वालाजी स्थान कहते
हैं। हजारों श्रद्धालु इस शक्तिपीठ में माँ के दर्शन के लिए आते हैं।
6. जालंधर-त्रिपुरमालिनी
पंजाब के जालंधर
में माता त्रिपुरमालिनी को समर्पित देवी तालाब मन्दिर है। धार्मिक मान्यता के
अनुसार ऐसा कहा जाता है कि यहां माता का बायाँ वक्ष गिरा था।
7. वैद्यनाथ-
जयदुर्गा
झारखंड में
स्थित वैद्यनाथ धाम पर माता का हृदय गिरा था। यहाँ माता के रूप को जयमाता और भैरव
को वैद्यनाथ के रूप से जाना जाता है।
8. नेपाल-
महामाया
गुजयेश्वरी
मंदिर, नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के साथ ही स्थित है, जहां
देवी के दोनों घुटने गिरे बताये जाते हैं। यहां देवी का नाम महाशिरा है।
9. मानस-
दाक्षायणी
यह शक्तिपीठ
तिब्बत में कैलाश मानसरोवर के मानसा के पास स्थित है। ऐसा कहा जाता यहाँ पर शिला
पर माता का दायां हाथ गिरा था।
10. विरजा-
विरजाक्षेतर
यह शक्ति पीठ
उड़ीसा के उत्कल में स्थित है। यहाँ पर माता सती की नाभि गिरी थी। कटक, भुवनेश्वर, कोलकाता
और ओडिशा के अन्य छोटे शहरों से बस का लाभ लेने से पर्यटक स्थल पर पहुंच सकते हैं।
11. गंडकी-
गंडकी
नेपाल में गंडकी
नदी के तट पर पोखरा नामक स्थान पर स्थित मुक्तिनाथ मंदिर है। ऐसा कहते हैं कि यहाँ
माता का मस्तक या गंडस्थल यानी कनपटी गिरी थी।
12. बहुला-बहुला
(चंडिका)
भारत के पश्चिम
बंगाल में वर्धमान जिले से 8 किमी दूर कटुआ केतुग्राम के पास अजेय
नदी तट पर स्थित बाहुल स्थान पर माता का बायां हाथ गिरा था।
13. उज्जयिनी-
मांगल्य चंडिका
भारत में पश्चिम
बंगाल के वर्धमान जिले से 16 किमी दूर गुस्कुर स्टेशन से उज्जयिनी
नामक स्थान पर माता की दाईं कलाई गिरी थी।
14. त्रिपुरा-त्रिपुर
सुंदरी
भारतीय राज्य
त्रिपुरा के उदरपुर के पास राधाकिशोरपुर गांव के माताबाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का
दायां पैर गिरा था।
15. चट्टल
- भवानी
बांग्लादेश में
चटगाँव जिले के सीताकुंड स्टेशन के पास चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल (चट्टल या
चहल) में माता की दायीं भुजा गिरी थी।
16. त्रिस्रोता
- भ्रामरी
भारतीय राज्य
पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के बोडा मंडल के सालबाढ़ी ग्राम स्थित त्रिस्रोत
स्थान पर माता का बायां पैर गिरा था।
17. कामगिरि
- कामाख्या
भारतीय राज्य
असम के गुवाहाटी जिले के कामगिरि क्षेत्र में स्थित नीलांचल पर्वत के कामाख्या
स्थान पर माता की योनि गिरी थी।
18. प्रयाग
- ललिता
भारतीय राज्य
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के संगम तट पर माता की हाथ की अंगुली गिरी थी।
19. युगाद्या-
भूतधात्री
पश्चिम बंगाल के
वर्धमान जिले के खीरग्राम स्थित जुगाड्या (युगाद्या) स्थान पर माता के दाएं पैर
का अंगूठा गिरा था।
20. जयंती-
जयंती
बांग्लादेश के
सिल्हैट जिले के जयंतीया परगना के भोरभोग गांव कालाजोर के खासी पर्वत पर जयंती
मंदिर है। यहां माता की बायीं जंघा गिरी थी।
21. कालीपीठ
- कालिका
पश्चिम बंगाल के
कोलकाता स्थित कालीघाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था।
22. किरीट
- विमला (भुवनेशी)
पश्चिम बंगाल के
मुर्शिदाबाद जिले के लालबाग कोर्ट रोड स्टेशन के किरीटकोण ग्राम के पास माता का
मुकुट गिरा था।
23. वाराणसी
- विशालाक्षी
उत्तर प्रदेश के
काशी में मणिकर्णिका घाट पर माता के कान के मणि जड़ित कुंडल गिरे थे।
24. कन्याश्रम
- सर्वाणी
कन्याश्रम में
माता का पृष्ठ भाग गिरा था।
25. कुरुक्षेत्र
- सावित्री
हरियाणा के
कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी गिरी थी।
26. मणिदेविक
- गायत्री
अजमेर के पास
पुष्कर के मणिबन्ध स्थान के गायत्री पर्वत पर दो मणि-बंध गिरे थे।
27. श्रीशैल
- महालक्ष्मी
बांग्लादेश के
सिल्हैट जिले के उत्तर-पूर्व में जैनपुर गांव के पास शैल नामक स्थान पर माता का
गला (ग्रीवा) गिरा था।
28. कांची-
देवगर्भा
पश्चिम बंगाल के
बीरभूम जिले के बोलारपुर स्टेशन के उत्तर पूर्व स्थित कोपई नदी तट पर कांची नामक
स्थान पर माता की अस्थि गिरी थी।
29. कालमाधव
- देवी काली
मध्य प्रदेश के
अमरकंटक के कालमाधव स्थित शोन नदी तट के पास माता का बायाँ नितंब गिरा था, जहां
एक गुफा है।
30. शोणदेश
- नर्मदा (शोणाक्षी)
मध्य प्रदेश के
अमरकंटक में नर्मदा के उद्गम पर शोणदेश स्थान पर माता का दायां नितंब गिरा था।
31. रामगिरि
- शिवानी
उत्तर प्रदेश के
झांसी-मणिकपुर रेलवे स्टेशन चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता का दायां वक्ष
गिरा था।
32. वृंदावन
- उमा
उत्तर प्रदेश
में मथुरा के पास वृंदावन के भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे
थे।
33. शुचि-
नारायणी
तमिलनाडु के
कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर है। यहां पर माता के ऊपरी
दंत (ऊर्ध्वदंत) गिरे थे।
34. पंचसागर
- वाराही
पंचसागर (एक
अज्ञात स्थान) में माता की निचले दंत गिरे थे।
35. करतोयातट
- अपर्णा
बांग्लादेश के
शेरपुर बागुरा स्टेशन से 28 किमी दूर भवानीपुर गांव के पार करतोया
तट स्थान पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी।
36. श्रीपर्वत
- श्रीसुंदरी
कश्मीर के
लद्दाख क्षेत्र के पर्वत पर माता के दाएं पैर की पायल गिरी थी। दूसरी मान्यता
अनुसार आंध्रप्रदेश के कुर्नूल जिले के श्रीशैलम स्थान पर दक्षिण गुल्फ अर्थात
दाएं पैर की एड़ी गिरी थी।
37. विभाष
- कपालिनी
पश्चिम बंगाल के
जिले पूर्वी मेदिनीपुर के पास तामलुक स्थित विभाष स्थान पर माता की बायीं एड़ी
गिरी थी।
38. प्रभास
- चंद्रभागा
गुजरात के
जूनागढ़ जिले में स्थित सोमनाथ मंदिर के पास वेरावल स्टेशन से 4
किमी दूर प्रभास क्षेत्र में माता का उदर (पेट) गिरा था।
39. भैरवपर्वत
- अवंती
मध्य प्रदेश के उज्जैन
नगर में शिप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माता के होंठ गिरे थे।
40. जनस्थान
- भ्रामरी
महाराष्ट्र के
नासिक नगर स्थित गोदावरी नदी घाटी स्थित जनस्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी।
41. सर्वशैल
स्थान
आंध्र प्रदेश के
राजामुंदरी क्षेत्र स्थित गोदावरी नदी के तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास
सर्वशैल स्थान पर माता के वाम गंड (गाल) गिरे थे।
42. गोदावरीतीर
गोदावरी तीर
शक्ति पीठ या सर्वशैल प्रसिद्ध शक्ति पीठ है, यह हिन्दुओं के
लिए प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में
राजमुंदरी के पास गोदावरी नदी के किनारे कोटिलेश्वर मंदिर में स्थित है। इस जगह पर
माता के दक्षिण गंड गिरे थे।
43. रत्नावली
- कुमारी
बंगाल के हुगली
जिले के खानाकुल-कृष्णानगर मार्ग पर रत्नावली स्थित रत्नाकर नदी के तट पर माता का
दायां स्कंध गिरा था।
44. मिथिला-
उमा (महादेवी)
भारत-नेपाल सीमा
पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के पास मिथिला में माता का बायां स्कंध गिरा था।
45. नलहाटी
- कालिका तारापीठ
पश्चिम बंगाल के
वीरभूम जिले के नलहाटि स्टेशन के निकट नलहाटी में माता के पैर की हड्डी गिरी थी।
46. कर्णाट-
जयदुर्गा
माँ सती के कुछ
शक्तिपीठों के बारे में अभी भी रहस्य बना हुआ है और उन्हीं रहस्यमयी शक्तिपीठों
में कर्णाट (अज्ञात स्थान) शक्तिपीठ एक है। कहते हैं कि यहाँ पर माता के दोनों कान
गिरे थे।
47. वक्रेश्वर
- महिषमर्दिनी
पश्चिम बंगाल के
वीरभूम जिले के दुबराजपुर स्टेशन से सात किमी दूर वक्रेश्वर में पापहर नदी के तट
पर माता का भ्रूमध्य गिरा था।
48. यशोर-
यशोरेश्वरी
यशोरेश्वरी
शक्तिपीठ बांग्लादेश के खुलना जिले के ईश्वरीपुर के यशोर स्थान पर है। धार्मिक
आस्था के अनुसार, कहते हैं कि इसी स्थान पर माँ सती के हाथ और पैर गिरे थे।
49. अट्टाहास
- फुल्लरा
पश्चिम बंगाल के
लाभपुर स्टेशन से दो किमी दूर अट्टहास स्थान पर माता के होंठ गिरे थे। नवदुर्गा के
समय माँ के भक्तों का यहाँ जमावड़ा लगा रहता है।
50. नंदीपूर
- नंदिनी
पश्चिम बंगाल के
वीरभूम जिले के सैंथिया रेलवे स्टेशन नंदीपुर स्थित चारदीवारी में बरगद के वृक्ष
के पास माता का गले का हार गिरा था।
51. लंका
- इंद्राक्षी
इंद्राक्षी
शक्तिपीठ भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका के त्रिंकोमाली में स्थित है। धार्मिक
मान्यता के अनुसार, ऐसा माना गया है कि संभवत: श्रीलंका के त्रिंकोमाली में माता की पायल
गिरी थी।
क्र.
सं.
|
शक्ति
पीठ का नाम
|
स्थान
|
1
|
हिंगलाज
शक्तिपीठ
|
कराची, पाकिस्तान
|
2
|
शर्कररे
|
कराची,
पाकिस्तान
|
3
|
सु्गंधा-सुनंदा
|
शिकारपुर, बांग्लादेश
|
4
|
कश्मीर-महामाया
|
पहलगाँव, कश्मीर
|
5
|
ज्वालामुखी-सिद्धिदा
|
कांगड़ा, हिमाचल
|
6
|
जालंधर-त्रिपुरमालिनी
|
जालंधर,
पंजाब
|
7
|
वैद्यनाथ-
जयदुर्गा
|
वैद्यनाथ
धाम, देवघर, झारखंड
|
8
|
नेपाल- महामाया
|
गुजरेश्वरी मंदिर, नेपाल
|
9
|
मानस-
दाक्षायणी
|
कैलाश
मानसरोवर, तिब्बत
|
10
|
विरजा- विरजाक्षेतर
|
विराज,
उड़ीसा
|
11
|
गंडकी-
गंडकी
|
पोखरा, नेपाल
|
12
|
बहुला-बहुला (चंडिका)
|
वर्धमान, पश्चिम बंगाल
|
13
|
उज्जयिनी-
मांगल्य चंडिका
|
उज्जयिनी, पश्चिम बंगाल
|
14
|
त्रिपुरा-त्रिपुर सुंदरी
|
उदयपुर,
त्रिपुरा
|
15
|
चट्टल
- भवानी
|
चटगाँव, बांग्लादेश
|
16
|
त्रिस्रोता - भ्रामरी
|
जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल
|
17
|
कामगिरि
- कामाख्या
|
गुवाहाटी, पश्चिम बंगाल
|
18
|
प्रयाग - ललिता
|
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
|
19
|
युगाद्या-
भूतधात्री
|
वर्धमान, पश्चिम बंगाल
|
20
|
जयंती- जयंती
|
सिल्हैट, बांग्लादेश
|
21
|
कालीपीठ
- कालिका
|
कालीघाट, पश्चिम बंगाल
|
22
|
किरीट - विमला (भुवनेशी)
|
मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल
|
23
|
वाराणसी
- विशालाक्षी
|
काशी, उत्तर प्रदेश
|
24
|
कन्याश्रम - सर्वाणी
|
कन्याकुमार, तमिलनाडु
|
25
|
कुरुक्षेत्र
- सावित्री
|
कुरुक्षेत्र, हरियाणा
|
26
|
मणिदेविक - गायत्री
|
पुष्कर,
राजस्थान
|
27
|
श्रीशैल
- महालक्ष्मी
|
सिल्हैट, बांग्लादेश
|
28
|
कांची- देवगर्भा
|
बीरभूम,
पश्चिम बंगाल
|
29
|
कालमाधव
- देवी काली
|
अमरकंटक, मध्य प्रदेश
|
30
|
शोणदेश - नर्मदा (शोणाक्षी)
|
अमरकंटक, मध्य प्रदेश
|
31
|
रामगिरि
- शिवानी
|
झांसी, उत्तर प्रदेश
|
32
|
वृंदावन - उमा
|
मथुरा,
उत्तर प्रदेश
|
33
|
शुचि-
नारायणी
|
कन्याकुमारी, तमिलनाडु
|
34
|
पंचसागर - वाराही
|
वाराणसी, उत्तर प्रदेश
|
35
|
करतोयातट
- अपर्णा
|
शेरपुर
बागुरा, बांग्लादेश
|
36
|
श्रीपर्वत - श्रीसुंदरी
|
लद्दाख,
जम्मू और कश्मीर
|
37
|
विभाष
- कपालिनी
|
पूर्वी
मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल
|
38
|
प्रभास - चंद्रभागा
|
जूनागढ़, गुजरात
|
39
|
भैरवपर्वत
- अवंती
|
उज्जैन, मध्य प्रदेश
|
40
|
जनस्थान - भ्रामरी
|
नासिक महाराष्ट्र
|
41
|
सर्वशैल
स्थान
|
राजामुंद्री, आंध्र प्रदेश
|
42
|
गोदावरीतीर
|
राजामुंद्री, आंध्र प्रदेश
|
43
|
रत्नावली
- कुमारी
|
हुगली, पश्चिम बंगाल
|
44
|
मिथिला- उमा (महादेवी)
|
जनकपुर,
भारत-नेपाल सीमा
|
45
|
नलहाटी
- कालिका तारापीठ
|
वीरभूम, पश्चिम बंगाल
|
46
|
कर्णाट- जयदुर्गा
|
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
|
47
|
वक्रेश्वर
- महिषमर्दिनी
|
वीरभूम, पश्चिम बंगाल
|
48
|
यशोर- यशोरेश्वरी
|
खुलना,
बांग्लादेश
|
49
|
अट्टाहास
- फुल्लरा
|
लाभपुर, पश्चिम बंगाल
|
50
|
नंदीपूर - नंदिनी
|
वीरभूमि, पश्चिम बंगाल
|
51
|
लंका
- इंद्राक्षी
|
त्रिंकोमाली, श्रीलंका
|
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