माइग्रेन का आर्युवैदिक उपचार।

==>> ककड़ी के ७ बीज, खीरे के ७ बीज, तरबूज के ७ बीज और लौकी के ७ बीज,
सात ममरी बदाम और सात पिस्तें ले (डोडी पिस्ता नहीं बारीक पतले पिस्ते)
शाम को ये सभी को पानी मेँ भीगा दो और सुबह पानी अलग कर दो और उसको अच्छी
तरह से घोट लो या पीस लो और १५ दिन तक लगातार सेवन करने से माईग्रेन की
बिमारी जड़ से खत्म हो जाएगी और मस्तिस्क भी मजबूत बनेगा।
==>> दूसरा प्रयोग -
ममरी बदाम, गाय का घी (अपनी देशी गाय-भारतीय वंश की गाय) जिस गाय को
आँवला खिलते हैँ, तुलसी खिलाते है और चीज खिलाते है। ऐसी गायों का घी,
ममरी बदाम और मिश्री उसको पीस-पास के चाँदी के बर्तनों में रखते चंद्रमा
की चाँदनी में और फिर उसको बंद करके चाँदी के बर्तन में अथवा तो मार्बल
के बर्तन में उसको अनाज में दबोज देते ७ दिन तक तो वो बन जाता है ममरी
बदाम महाशक्तिशाली औषध। ये सात बदाम नहीं होते एक – दिड बदाम ही हुआ। उस
८ -१० ग्राम मिश्रण को चबा-चबाकर खाये तो माइग्रेन तो भाग जायेगा, पूरा
नाड़ीतंत्र चंगा हो जायेगा। ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ