जामुन के अद्भुत लाभ। –
- जामुन अग्निप्रदीपक, पाचक, स्तंभक रोकने वाला तथा वर्षा ऋतु में अनेक
रोगों में उपयोगी है।
- जामुन में लोहतत्व पर्याप्त मात्रा में होता है।
- अत: पिलिया के रोगों में जामुन का सेवन हितकारी है।
- जामुन यकृत, तिल्ली और रक्त की अशुद्धि को दूर करता है।
- जामुन खाने से रक्त की अशुद्धि दूर हो जाती है तथा लालिमा युक्त बनता है।
- जामुन मधुमेह, अतिसार, पथरी, पेचिस, संग्रहणी, यकृत के रोगों और
रक्तजन्य विकारों को दूर करता है।
- मधुमेही के रोगीयों के लिए जामुन के बीज का चूर्ण सर्वोत्तम है।
- वायु प्रकृति वाले जामुन के ऊपर नमक, जीरा पावडर और संतकृपा चूर्ण
लगागे जामुन खाये।
- मधुमेह के रोगी को नित्य जामुन खाने चाहिए। अच्छे पक्के जामुन सुखाकर
बारीक कूटकर बनाया गया चूर्ण प्रतिदिन १ - १ चम्मच सुबह–शाम पानी के साथ
सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
- प्रदर रोग कुछ दिनों तक वृक्ष की छाल के काढ़े में शहद अर्थात मधु
मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से स्त्रीयों में प्रदर रोग मिट जाता
है।
- जामुन के बीज को पानी में घिसकर मुँह पर लगाने पर मुहाँसे मिटते है।
- जामुन की गुठलियों को पीसकर शहद में मिलाकर गोलियाँ बना ले। २ - २ गोली
नित्य चार बार चुसो। इससे बैठा गला खुल जाता है, आवाज का भारीपन ठीक हो
जाता है।
- जामुन की गुठली का ४ – ५ ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ लेने से
स्वप्नदोष ठीक होता है।
- जामुन के पेड़ की पत्तियाँ ज्यादा न पकी हुई, न ज्यादा मुलायम लेकर पीस
ले उसमे जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर उसकी गोलियाँ बना ले १ – १ गोली
सुबह–शाम लेने से कैसे भी तेज दस्त हो बंद हो जाते है।
- जामुन भूख बढ़ाने वाले है। वर्षा ऋतु को उदर रोगों को ठीक रखने में मदद
करेंगे। रक्त की शुद्धि और चेहरे पर लालीमा लानेवाले हैँ।
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सावधानी – जामुन सदा भोजन के बाद ही खाना चाहिये। भूखे पेट जामुन बिलकुल
न खाये। जामुन खाने के बाद तत्काल दूध न पीयेँ। ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
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