युवाओँ का विनाश कब रुकेगा। हृदय की विकारी वासनाओं को प्रेम का जामा देना, प्रेम को बदनाम करना है। प्रेम और काम में बहुत अंतर है। काम नीचे के केन्द्रों में है। वह उत्तेजना और अँधापन पैदा करता है, विकार पैदा करता है और प्रेम ऊपर के केन्द्रों में है, वह सूझबूझ पैदा करता है, नित्य नवीन रस पैदा करता है, प्राणिमात्र में अपनत्व दिखाता है। केवल हिन्दुस्तान उन्नत हो ऐसा नहीं अपितु पूरा मानव-समाज.... पूरा विश्व इस काम-वासना की अंधी आँधी से बचकर संयमी, सदाचारी, स्वस्थ, सुखी व सम्मानित जीवन की राह पर चले और विश्व का मंगल हो क्योंकि हमेंविरासत में वही मिला है। ʹइन्नोसंटी रिपोर्ट कार्डʹके अनुसार २८ विकसित देशों में हर साल १३ से १९ वर्ष की १२ लाख ५० हजार किशोरियाँ गर्भवती हो जाती हैं। उऩमें से लाख गर्भपात कराती हैं और लाख ५० हजार कुँवारी माता बन जाती हैं। अमेरिका में हर साल लाख ९४ हजार अनाथ बच्चे जन्म लेते हैं और ३० लाख किशोर-किशोरियाँ यौन रोगों के शिकार होते हैं। यौन-संबंध करने वालों में २५ प्रतिशत किशोर-किशोरियाँ यौन रोगों से पीड़ित हैं। असुरक्षित यौन-संबंध करनेवालों में ५० प्रतिशत को गोनोरिया, ३३ प्रतिशत को जैनिटल हर्पिस और एक प्रतिशत को एड्स का रोग होने की सम्भावना है। एड्स के नये रोगियों में २५ प्रतिशत रोगी २२ वर्ष से छोटी उम्र के होते हैं। आज अमेरिका के ३३ प्रतिशत स्कूलों में यौन-शिक्षा के अंतर्गतʹकेवल संयमʹकी शिक्षा दी जाती है। इसकेलिये अमेरिका ने ४० करोड़ से अधिक डॉलर (२० अरब रूपये) खर्च किये हैं। सर्वे भवन्तु सुखिनः.....हम किसी का विरोध नहीं करते हैं परंतु कोई बेचारा राह भूला है, हमारा भाई है, फूल देकर पड़ोस की बहन को बहन कहने की लायकात नष्ट कर रहा है और बहन फूल लेकर पड़ोस के भाई की नज़र से गिरकर विकारी कठपुतली बन रही है तो ऐसी बेटियों को, बेटों को सही दिशा मिले। तू गुलाब होकर महक तुझे जमाना जाने। विषय विकारों की आँधी में न बहकर संयम-सदाचार से युक्त स्वस्थ, सुखी एवं सम्मानित जीवन जियो। अपने लिये, माता-पिता के लिए खुशहालियाँ पैदा करने वाली सदभावना से, संयम से आपका मंगल हो और आपसे मिलने वाले का भी आनंद-मंगल हो। ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ