जो भारत को गरीब-गरीब कहते हैँ वही
सब भारत की धन-सम्पदा पर गिद्ध-दृष्टि जमाए बैठे हैँ।
१. कोलंबस और वास्कोडिगामा भारत के
बेशुमार धन को ही देखकर ही तो लालच में पड़ गया था तभी तो उस दुष्कर अनजान यात्रा
पर निकल पडा जिसमें अगर उसका भाग्य ने साथ ना दिया होता तो जीवन भर समुंद्र में ही
भटक-भटक कर अपने प्राण गँवा देता।
२. और मैंने तो ये भी सुना है कि
अँग्रेज १७ दिन तक या शायद एक-डेढ़ महीने तक सोना ढोता रहा था फिर भी यहाँ का सारा
सोना इंग्लैण्ड ना ले जा पाया।
३. वैसे छोडिए अँग्रेजों की बात को
ये तो साले चोर-डकैत होते ही हैं अभी भले हम लोगों को चोर-डकैत कहते रहते हैँ और
ये अँग्रेज जब हमलोगों को लूट रहे थे। अब जब हमलोगों के पास कुछ बचा नहीं लूटने को
और उसके पास धन-सम्पदा का ढेर लग गया तो उसे डर लगने लगा
कि कहीं उससे लूटा हुआ धन हम लोग छीन ना लें तो हम लोग को चोर-बदमाश कहकर बदनाम
करने लगे। अब अंग्रेज शरीफ़ और सभ्य बनते हैँ .... ये तो वही बात हुई कि १०० चूहे
खाकर बिल्ली (जो अब शिकार करने में अक्षम हो गयी हो) हज करने को चली।
४. अब बात करते हैं हमारे धर्मराज
युधिष्ठिर की जिन्होंने राजसूय यज्य में सैकडो ब्राह्मणों को सोने की थाली में
भोजन करवाया था और फ़िर वो थाली उन्हें दान में दे दी थी। कुछ लोग तो वो बर्तन ले
गये पर कुछ लोग वहीँ फेँक कर चले गये थे की हम अपनी साधना भजन करेँगे या तेरे सोने
के बर्तन संम्भालेँगे।
५. भारत गरीब देश नहीँ है भारत का
पैसा काले धन के रुप मेँ चुरा कर विदेशोँ मेँ छुपा दिया गया है।
६. हमारा भारत स्वर्ण का महासागर
था, इन राक्षसोँ ने हमारे देश
से स्वर्ण चुरा लिया और सोने की चिडिया प्रचारित किया।
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