तब खोया गौरव फिर से हम पायेंगे



हम भूल गये हल्दीघाटी के
उस युद्ध घमासान को।
हम भूल गये पन्ना धाय के
उस महान बलिदान को।
राणा साँगा ने तुर्को के
अभिमान को तोड़ा  था।
पृथ्वीराज ने अँधेपन में भी
गौरी का माथा फोड़ा था।
हम भूल गये राजपूताना की
गौरवशाली गाथा को।
वीर दुर्गादास, हाड़ी रानी, जेता,
कुँपा, जयमल और पत्ता को।
राम, कृष्ण और भरत ने
क्षत्रिय कुल में जन्म लिया।
कौरव, कंस और रावण जैसों को
इस धरा से खत्म किया।
हनुमान को जाम्बवंत ने
जब भूला बल याद दिलाया था।
लाँघ गये सौ योजन सागर को तब
माँ सीता का पता लगाया था।
क्षत्रियोँ को मिटाने का
दुष्टों भरकस जतन किया।
पर जब उठी क्षत्रिय की तलवार
शत्रु को जड़ से खतम किया॥
अब हमको भी गौरव अपना
फिर से याद करना होगा।
आपस में अब तक खूब लड़े
अब और लड़ना होगा।
धर्म, नीति और सँस्कार
जिस दिन याद हमें आ जाएंगे।
सच कहता हूँ हम अपना
खोया गौरव फिर से हम पाएंगे।

लेखक: हरिनारायण सिँह राठौङ