‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ सभी
मनाओ !
(मातृ-पितृ पूजन दिवस : 14
फरवरी)
इसलिए मैंने इसको विश्वव्यापी बना दिया
युवक
14 फरवरी को फूल लेकर अपनी प्रेयसी के पास जाता है तो अपने माता-पिता
का अपमान करता है । 14 फरवरी को फूल ले के नहीं दिल लेकर, पूजा
की सामग्री ले के माँ के चरणों में, पिता के चरणों
में आओ जिससे तुम्हारा नजरिया शुद्ध हो जाय । और सब मिलेगा लेकिन माँ-बाप नहीं
मिलेंगे । कितना कष्ट सहकर जननी ने हमें जन्म दिया है और पिता ने कितनी तकलीफें
उठा के हमें पाला-पोसा, पढ़ाया-लिखाया और उनसे मुँह मोड़ के शादी
के पहले प्रेमी-प्रेमिका, युवक-युवती ‘आई
लव यू, आई लव यू...’ करके एक-दूसरे को फूल दें, काम
की नजर से देखें तो जीवनीशक्ति का ह्रास होगा, दिल-दिमाग व
तन-मन कमजोर हो जायेंगे, संतान कमजोर आयेगी ।
वेलेंटाइन
डे मनाकर कई युवक-युवतियाँ लड़े-झगड़े, कई घर छोड़ के
भागे, किसीने आत्महत्या की... तो लाखों-लाखों परिवार तबाह हो रहे थे । उनकी
तबाही और लाखों-करोड़ों माता-पिताओं का बुढ़ापा नारकीय हो रहा था इसलिए मैंने ‘मातृ-पितृ
पूजन दिवस’ को विश्वव्यापी बना दिया । 167
देशों में उत्तम आत्माएँ, सूझबूझवाले पवित्रात्मा यह दिवस मनाते
हैं । मुसलमान बच्चे भी अपने अब्बाजान और अम्मा का आदर करने का दिवस मनाते हैं ।
ईसाई, पारसी आदि सभी धर्म के लोग यह दिवस मनाने लगे हैं ।
विदेशों
की गंदगी भारत में क्यों ?
1947 के
पहले के जमाने में प्रेमी-प्रेमिका होना बड़े खतरे की बात होती थी । अभी बेशर्माई
का समय आ गया है । अबोर्शन (गर्भपात) करा लो 600 रुपये में, 1000
रुपये में - ये बोर्ड अभी हैं, पहले नहीं थे ।
रोज डे, वेलेंटाइन डे...
ऐसे डे मनाकर पाश्चात्य देशों के
प्रेमी-प्रेमिका परेशान हो रहे हैं । वह गंदगी हमारे भारत में आये उससे पहले ही
भारत की कन्याओं और किशोरों का कल्याण अबाधित रहे ऐसा वातावरण बनाना चाहिए ।
प्रेम-दिवस मनाओ लेकिन वह सच्चा, निर्विकारी प्रेम-दिवस हो । अतः
माता-पिता का पूजन करके प्रेम-दिवस मनायें । माता-पिता को तिलक करो, उनके
सिर पर फूल रखो, ‘मातृदेवो भव ।’, ‘पितृदेवो भव ।’ कहकर
उनका सत्कार करो । माता-पिता वे फूल बच्चे-बच्ची के सिर पर रखें, उनके
ललाट पर तिलक करें कि ‘मेरे बेटा-बेटी त्रिलोचन हों । केवल इस
दुनिया को देखकर उलझें नहीं, इनका आत्मज्ञान का नेत्र विकसित हो ।’ ऐसा
करके बच्चे-बच्चियों को स्नेह करो और बच्चे-बच्ची माता-पिता को स्नेह करें ।
माँ-बाप तो मेहरबान होंगे साथ ही माँ-बाप का जो अंतरात्मा है वह भी बरस जायेगा और
बच्चे-बच्चियों की जिंदगी सँवर जायेगी । शुभकामना बड़ा काम करती है ।
यह
प्रेम-दिवस मनाने से विश्वमानव का मंगल होगा लेकिन वेलेंटाइन डे मनाने से
विश्वमानव का अहित होता है ।
अपने
बच्चे-बच्चियाँ वहाँ की गंदगी से बचें इसलिए ‘दिव्य
प्रेरणा-प्रकाश’ पुस्तक बार-बार पढ़ें । रात्रि को सोने से पूर्व
21 बार ‘ॐ अर्यमायै नमः’ मंत्र का जप
करना तथा तकिये पर अपनी माँ का नाम (केवल उँगली से) लिखकर सोना, सुबह
स्नान के बाद ललाट पर तिलक करना और पढ़ाई
के दिनों में एवं अवसाद (डिप्रेशन) के समय प्राणायाम करने चाहिए । सर्वांगासन करके
गुदाद्वार का जितनी देर सम्भव हो संकोचन करें और ‘वीर्य ऊपर की ओर
आ रहा है...’ ऐसा चिंतन करें । देर रात को न खायें, कॉफी-चाय
आदि के व्यसन में न पड़ें और सादा जीवन जियें, जिससे अपनी
जीवनीशक्ति की रक्षा हो ।
सुबह
थोड़ी देर भगवत्प्रार्थना-स्मरण करते हुए शांत हो जाओ । बुद्धि में सत्त्व बढ़ेगा तो
बुद्धि निर्मल होगी, गड़बड़ से मन को बचायेगी और मन इन्द्रियों को
नियंत्रित रखेगा । गाड़ी कितनी भी बढ़िया हो लेकिन स्टेयरिंग और ब्रेक ठीक नहीं हैं
तो बैठनेवाले का सत्यानाश ! ऐसे ही शारीरिक स्वस्थता, धन-दौलत
कितनी भी है लेकिन इन्द्रियाँ और मन संयत नहीं हैं, अपने नियंत्रण
में नहीं हैं तो व्यक्ति कभी कुछ कर बैठेगा, कभी कुछ कर
बैठेगा ।
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