महाभारत काल
में भारत का
ज्ञान विज्ञान आज
से समय
से कहीं उन्नत और
बेहतर था।
भारत देश का ऐसा
गौरवशाली अतीत है जो अब प्रोफेसरों और अध्यापकों के मुँह से भी निकल रहा है । इस
इतिहास को बहुत छिपा कर और साजिशों की परतों के नीचे दबा कर रखा गया था । आख़िरकार
वो सच देर से ही सहीं पर भारत के तमाम स्तम्भों के मुँह से निकलने लगा है जिसे
भारत की शिक्षा की रीढ़ कहा जाता है ।
कुछ समय पहले जब त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव देव ने ऐसे ही गौरवशाली इतिहास का वर्णन किया था तो उनके खिलाफ एक वर्ग ने हल्ला बोल दिया था । लेकिन अब उसी गौरवशाली अतीत का बखान किया है आंध्र प्रदेश यूनिवर्सिटी के कुलपति जी. नागेश्वर राव जी ने ।
“भारतीय विज्ञान कांग्रेस” कार्य्रकम में नागेश्वर जी ने संबोधन में साफ़-साफ़ कहा है कि महाभारत काल में भारत का ज्ञान विज्ञान आज से समय से कहीं उन्नत और बेहतर था। उस समय चिकित्सा आदि की विधियाँ कई गुना उच्च तकनीकी की थी । उन्होंने कौरव और पांडवों को न सिर्फ प्रबल बलशाली योद्धा बताया बल्कि बड़े अनुसन्धानी भी कहा ।
कुछ समय पहले जब त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव देव ने ऐसे ही गौरवशाली इतिहास का वर्णन किया था तो उनके खिलाफ एक वर्ग ने हल्ला बोल दिया था । लेकिन अब उसी गौरवशाली अतीत का बखान किया है आंध्र प्रदेश यूनिवर्सिटी के कुलपति जी. नागेश्वर राव जी ने ।
“भारतीय विज्ञान कांग्रेस” कार्य्रकम में नागेश्वर जी ने संबोधन में साफ़-साफ़ कहा है कि महाभारत काल में भारत का ज्ञान विज्ञान आज से समय से कहीं उन्नत और बेहतर था। उस समय चिकित्सा आदि की विधियाँ कई गुना उच्च तकनीकी की थी । उन्होंने कौरव और पांडवों को न सिर्फ प्रबल बलशाली योद्धा बताया बल्कि बड़े अनुसन्धानी भी कहा ।
समाचार एजेंसी द
हिन्दू के अनुसार उन्होंने कहा कि भारत के पास हज़ारों साल पहले से ही लक्ष्य
केंद्रित मिसाइल तकनीक का ज्ञान था । भगवान राम के पास अस्त्र-शस्त्र थे, जबकि भगवान विष्णु के पास ऐसा सुदर्शन चक्र था जो अपने लक्ष्य को
भेदने के बाद वापस लौट आता था । – सुदर्शन
न्यूज
प्राचीन भारत की
तकनीकें इतनी विकसित थी कि आज के वैज्ञानिकों की सोच वहाँ तक पहुँच भी नहीं सकती, लेकिन भारतवासी विलासी होते गये और आपस में लड़ने लगे इसका फायदा
उठाकर विदेशी आक्रमणकारियों ने देश की संस्कृति को खत्म करने का अनेक षड्यंत्र
किये लेकिन अभी भी संपूर्ण रूप से नष्ट नहीं कर पाएं यही सनातन भारतीय संस्कृति की
महिमा है ।
एक और बड़ी अच्छी खबर आई है कि अब वेद
की पढ़ाई भी कर सकते है ।
*अब वेद से भी कर सकेंगे दसवीं और
बारहवीं की पढ़ाई, शुुरु हुआ नया
पाठ्यक्रम*
भारतीय वैदिक
ज्ञान परंपरा को लोकप्रिय बनाने को लेकर सरकार ने एक बड़ी पहल की है । इसके अंतर्गत
कोई भी छात्र अब दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई कला, विज्ञान
और वाणिज्य संकाय (स्ट्रीम) की तर्ज पर ‘वेद’ संकाय में भी कर सकेगा । फिलहाल इस
कोर्स को शुरू कर दिया गया है । इसके सभी विषय संस्कृत भाषा और वेद से जुड़े हैं ।
हालांकि इस माध्यम में अभी सिर्फ दसवीं में ही प्रवेश दिया जा रहा है, किंतु जल्द ही बारहवीं का भी कोर्स शुरु करने की तैयारी है ।
वैदिक ज्ञान को
बढ़ावा देने की यह पहल मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ऑनलाइन पढ़ाई करने वाली
संस्था राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एन.आई.ओ.एस.) ने की है ।
एन.आई.ओ.एस. ने वेदों से जुड़े इस खास संकाय को ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ नाम दिया है, इसके लिए खासतौर पर पांच विषय तैयार किए गए है । इनमें भाषा के रुप
में संस्कृत को रखा गया है, जबकि अन्य चार
विषयों में भारतीय दर्शन, वेद अध्ययन, संस्कृत व्याकरण और संस्कृत साहित्य होंगे । जिसमें छात्रों के लिए
अष्टाध्यायी से लेकर वेद मंत्रों को भी शामिल किया गया है । यह पूरा कोर्स आनलाइन
होगा।
मॉरीशस
और फिजी जैसे देशों ने दिखाई रुचि-
वेद को बढ़ावा
देने को लेकर शुरू किए गए 10 वीं और 12 वीं के इन आनलाइन कोर्सेस को लेकर भारतीय
संस्कृति से नजदीकी जुड़ाव रखने वाले कई देशों ने रुचि दिखाई है । इनमें मारीशस, फिजी, त्रिनिदाद और
टोबैको जैसे देश शामिल है । फिलहाल इन देशों ने एनआईओएस से अपने यहां भी इन कोर्सो
को संचालित करने और केंद्र खोलने का मांग की है ।
देश में पहले
नगर-नगर गुरुकुल थे और उसमें वेद अनुसार पढ़ाई करवाई जाती थी जिसको पढ़ने के बाद हर
मनुष्य स्वथ्य, सुखी सम्मानित
जीवन जीता था आज की पढ़ाई सिर्फ पेट भरने के लिए ही है जो मनुष्य को पशुता की ओर ले
जा रही है, अब एन.आई.ओ.एस.
ने वेद की शिक्षा शुरू की है वे अत्यंत सरहानीय है । देश भर में सभी स्कूलों, कॉलेजो में वेद अनुसार शिक्षा शुरू कर देनी चाहिए जिससे हर व्यक्ति
स्वथ्य, सुखी , सम्मानित जीवन जिए और देश को पुनः विश्व गुरु के पद पर आसीन कर सके ।
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